हिन्दुओ सावधान ! लुट रहे है तुम्हारे मंदिर लूट रहे है आज के गजनी | बात अटपटी है लेकिन है सच |दरसल १९५१ में नेहरू सरकार ने एक कानून बनाया था –“द हिंदू रिलिजिअस एंड चेरिटेबल एंडोमेंट एक्ट बनाया था |यह कानून राज्य सरकारो को हिन्दुओ के मंदिरों और उनकी संपत्ति के अधिग्रहण के अधिकार की अनुमति प्रदान करता है | इससे सरकारे मंदिरों की चल –अचल संपत्तियो को बेच कर चाहे जैसा उपयोग कर सकती है |
इस कानून के चलते ४३ हजार मंदिर आन्ध्र सरकार के कब्जे में आ गये है | विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर से प्रतिवर्ष ३१ हजार करोड की आय चढावे से होती है | ८५ प्रतिशत राजकोष को चली जाती है | इसाई मुख्यमंत्री के चलते यह राशि हिंदू विरोधी गतिविधियों के लिए चर्चो की भेंट चढ़ जाती है ,वो भी धर्मादा कार्यों के नाम पर | कनार्टक की कोंग्रेस सरकारों ने २ लाख मंदिरों से ७९ करोड वसूले | उनमे से ७करोड मंदिरों के रख-रखाव पर खर्चे ,५९ करोड मदरसों व हज यात्रा पर खर्चे , और १३ करोड चर्चो पर खर्च कर दिए | इस लूट के कारन २ लाख में से २५ प्रतिशत यानि ५० हजार मंदिर धनाभाव से बंद हो गए | केरल की सरकार ने प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर कोष से ४५ मंदिरों के जीर्णोद्धार हेतु धन देने से मना कर दिया | तथा मुस्लिम योजनाओ पर लगा दिया ,और भगवन अयप्पा के मंदिर की बहुत सी जमींन हड़प ली |यही नहीं सबरीमाला के निकट वन क्षेत्र की हजारों एकड़ जमीन पर चर्चो का कब्ज़ा करा दिया |केरल की वामपंथी सरकार एक अध्यादेश के द्वारा त्रावनकोर और कोचीन के स्वायत्तशासी देवस्थानम बोर्डो को समाप्त कर १८०० हिंदू मंदिरों की सीमित स्वतन्त्र सत्ता को भी हड़पने की तय्यारी में है | महाराष्ट्र सरकार भी राज्य के ४.५ लाख मंदिरों का अधिग्रहण कर उनकी राशि से राज्य के दिवालियेपन से उबरना चाहती है | उडीसा सरकार भी कहा पीछे रहने वाली है |वह भी प्रसिद्ध भगवन जगन्नाथ मंदिर की ७० हजार एकड़ से ज्यादा भूमि को बेचना चाहती है | और वहा भी चर्चो की गतिविधिया बहुत बढ़ गयी है | ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है ,कि सरकार अपने नागरिको की धार्मिक स्वायत्ता के प्रबंधन व नियमन के बजाय शोसन कर रही है |यह हिन्दुओ के साथ ही है | अब ये सेकुलर आधुनिक गजनी मुक्त हस्त से ,हिन्दुओ द्वारा श्रद्धाभाव से दी गई अपने ईस्ट को अकूत सम्पदा लूट रहे है | और हिंदू लुटते हुए देख रहे है | इन लूटो का मार्ग प्रशस्त किया नेहरू के उपरोक्त कानून ने |