(जिस पर पाक कमांडर ने क्षत्र चढ़ाया था )
नवरात्रों में भक्ति और शक्ति कि देवी माता तनोट राय नमोस्तुते | नवरात्रों में वैसे तो हम माता के नो रूपों कि अराधाना ,अर्चना करते है पर माता के अगणित रूप है | माँ दुर्गा को शक्ति कि देवी माना जाता है | माता के इस रूप को देखना हो तो जिला जैसलमेर (राजस्थान) किशनगढ़ क्षेत्र के गांव तनोट में तनोट माता के मंदिर के दर्शन करे | जैसलमेर से थार रेगिस्तान में १२० किमी. दूर सीमा के पास स्थित है तनोट माता का पवित्र व सिद्ध मंदिर , गर्मियों में यहाँ का तापमान ४९ डी.तक चला जाता है | इसे ८४७ ई. में भाटी राजपूत राजा तनु राव ने बनवाया था | इस देवी का अवतार लास्वेला बलूचिस्तान (पकिस्तान) में हिंगलाज के रूप में भी माना जाता है | १९६५ के भारत –पाक युद्ध से माता की कीर्ति और बढ़ी | जब पाक सेना ने चोकी न. ६१५ रहीमयार खान से हमारी सीमा के अंदर किशंगढ़ क्षेत्र में भयानक बमबारी करके लगभग ३००० हवाई और जमीनी गोले दागे | पर यहाँ तनोट माता की कृपा से किसी का भी बाल बांका नहीं हुआ | पाक सेना ४ किमि. अंदर तक हमारी सीमा में घुस आई थी | पर युद्ध देवी के नाम से प्रसिद्ध माता के प्रकोप से पाक सेना को न केवल उलटे पांव लोटना पड़ा बल्कि अपने १०० सैनिको के शवो को भी छोड़कर भागना पड़ा |
१९७१ के युद्ध में भी पाक सेना ने किशंगढ़ पर कब्जे के लिये भयानक हमला किया था | परन्तु १९६५ की तरह मुह की खायी | भारत की सेना (३ राजपुताना राइफल्स और २३ पंजाब रेजिमेंट ) रहीमयार खान पर कब्जे के लिये इस्लाम गढ़ तक पहुच गयी थी कि युद्ध विराम कि घोषणा हो गई | रहीमयार खान पाकिस्तान के लिये बड़े ही सामरिक महत्त्व का है | यहाँ का रेलवे स्टेशन पाकिस्तान का अंतिम छोर है और यहीं से सिंध प्रान्त शुरू होता है | १९७१ के युद्ध के बाद पाक सैन्य कमांडर शाहनवाज खान ने माता तनोट राय कि शक्ति से अभिभूत हो कर भारत सरकार से दर्शन कि इजाजत मांगी | २.५ वर्ष बाद इजाजत मिलने पर ,शाहनवाज खान ने माता के दर्शन किये और क्षत्र चढ़ाया | एक बार अकबर को भी माता ज्वाला जी कि शक्ति का लोहा मानकर क्षत्र चढाना पड़ा था | यहाँ युद्ध का एक विजय स्तंभ भी बनाया | गया | और पाक सेना द्वारा दागे गये गोले भी मंदिर परिसर में दर्शन हेतू रखे गये है