Friday 16 August 2013



           “जरा याद करो क़ुरबानी --- १६ अगस्त १९४६”
१५ अगस्त १९४७ -- भारत का बच्चा – बच्चा जानता है की ये हमारा स्वतंत्रता दिवस है |
१४ अगस्त १९४७ – को बहुत बड़ी संख्या में इस दिन को राष्ट्रवादी और भारत माँ के सपूत अखंड भारत के रूप में मानते है |
१६ अगस्त  -- जी हाँ १६ अगस्त १९४६ को कितने लोग जानते है | १०० जलियांवाला बाग़ एक ओर तथा बंगाल का नरसंहार एक ओर | स्मरण है किसी को नहीं तो जरा याद करे -------
  मित्रो लम्बे समय तक भारतवर्ष पृथ्वी के विस्तृत भूखंड का स्वामी था | लेकिन विभिन्न परिस्तिथियों के चलते ये भूखंड सिकुड़ता चला गया | १९०२ में श्रीलंका, १९३५ में ब्रह्मा (बर्मा), और ९७५ से १००८ तक अफगानिस्तान, १९४७ में पाकिस्तान आदि आदि अलग होते चले गए | हमारे पौराणिक ग्रन्थ वायु पूरण, विष्णु पूरण आदि में भारत वर्ष को प्रशांत महासागर से लेकर आज के थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, जावा, सुमात्रा, बाली, मलय, फिलिपिन्स, ताइवान आदि मध्यपूर्व एशिया तक का समस्त भू भाग अखंड भारत के अंग बताये है | शास्त्रों में इसे दिव्य चेतना युक्त जीवंत आत्मा और मोक्ष भूमि कहा है | स्वामी विवेकानंद, अरविन्द घोष तथा उनकी फ़्रांसिसी शिष्या श्रीमा ने साक्षात् भारत माँ के दर्शन किये है | लेकिन १९४६ -४७ में माँ के कपूतो ने जैसा भारत माँ का चीर और शील हरन किया है वैसा अन्यत्र दुर्लभ है | २३ मार्च १९४० को गाँधी ने कहा था की देश का बंटवारा मेरी लाश पर होगा | और उसी गाँधी ने १९४७ में विभाजन का प्रस्ताव पास कराया | जो गाँधी १९४२ के भारत छोडो आन्दोलन की जरा सी हिंसा से अनसन पर बैठ गए वही गाँधी विभाजन और नोआखाली के नरसंहारो पर चुप्पी साधे रहे | १९४७ में जिद्दी नेहरू और गाँधी के धोखे के चलते देश और हिन्दू छला गया | तथा  देश का रक्तिम विभाजन हुआ | २० लाख भारतीय मारे गए जिसमे १६ लाख हिन्दू और ४ लाख मुस्लमान थे |
 १६ अगस्त १९४६ -- को तो ‘सीधी  कार्यवाही’ की घोषणा कर मुस्लिम लीग ने बंगाल में विशेष रूप से कलकत्ता और  नोआखाली में हिन्दुओं का जघन्यतम कत्लेआम शुरू कर दिया | मुस्लिम लीगी सुहरावर्दी बंगाल का शासक था | उस समय बंगाल में २६ जिले थे जिनमे २४ जिलो में मुसलमान और २ जिलो में एंग्लो इन्डियन अधिकारी थे | कलकत्ता का जिलाधिकारी एनजी रे भाग गया | सोचो हिन्दुओ का क्या हाल हुआ होगा | ऐसा कौनसा जुल्म नहीं था जो हिन्दुओ पर न अजमाया गया हो | लूट, ह्त्या, बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन पलायन सब कुछ सहना पड़ा बंगाल के हिन्दुओ को | अफ़सोस  की बात ये है की प्रशासन को पूरी जानकारी थी | लीगी नेता गुलाम सर्वर हुसैन ने कहा था की हर मुसलमान हथियार उठाएगा | हिन्दुओ के लक्ष्मी पूजा व दशहरा रक्तिम और चीख-पुकार में बीते कोई सुनाने वाला नहीं था | इस भयंकर रक्तपात में लाखों हिन्दू मारा गया सिर्फ २ दिन में १० हजार हिन्दू मार दिए गए | केन्द्र की अंतरिम कांग्रेस सरकार से जब इस नरसंहार को रोकने को कहा गया तो राज्य का विषय बता कर सरकार ने चुप्पी साध ली याने हिन्दू नरसंहार का मूक समर्थन जरी रखा | प्रतिक्रिया स्वरूप बिहार में जब हिन्दुओ ने बदला लेना शुरू किया तो उसी केंद्र सरकार ने वायु सेना का प्रयोग कर हिन्दुओ पर गोले बरसाए | और हिन्दुओ को आतंकित किया गया | बंगाल में मुसलमानों को संरक्षन दिया गया | कांग्रेस की अंतरिम सरकार अखंड भारत के नाम पर जीती थी और धोखे से प्रस्ताव पास कर विभाजन करा दिया | प्रश्न आज ज्यो का त्यों खड़ा है की हिन्दुओ की वोट से जीतने वाली जो कांग्रेस हिन्दुओ की जान की दुश्मन स्वतंत्रता पूर्व थी वह आज भी जस की तस है |

Saturday 13 July 2013



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मौत का सौदागर कौन ---मोदी या कांग्रेस "
आजकल  मोदी अपने सद्भावना मिशन, जेडीयू का अलगाव,आडवाणी जी, और पी एम पद के सर्व श्रेष्ठ दावेदारी के कारण मीडिया की सुर्खियों मे छाये हुए है | जिस कारण कुछ लोगो ने मोदी को सर आँखों पर बिठाया तो कुछ के पेट मे दर्द हो  गया | उसी पेट मरोड़ के चलते कुछ लोगो ने मोदी के उपवास को उपवास का उपहास ‘,कुछ ने सो चूहे खाकर हज को जाने वाली बिल्ली बताया, तो कोई खुनी, हत्यारा,यमराज  बता रहा है | सोनिया ने तो मौत का सोदागर ही कह दिया था | मजे बात तो ये है की मोदी को ऐसे नाम वो लोग रख रहे है, जिनके हाथ कोहनियों तक खून से सने है | ये दूध के धुले सैकुलर, शर्म निरपेक्ष  कितने उजले है उसकी कुछ बानगी भी देख ले ?
     १९४७ से ही आरम्भ करते है, तो विश्व का जघन्यतम नरसंहार जिसमे २० लाख लोग बटवारे के समय मारे गए थे जिनमे ५००० अकेले बंगाल में मरे गए थे |  निर्विवादित रूप से नेहरू और गाँधी के सर है | १९६४ राउरकेला व जमशेदपुर में ३०००, १९६७ रांची में २००, १९७० भिवंडी (महाराष्ट्र) में ८०,  हत्याएं में हुई | अपने को सबसे ज्यादा सेकुलर कहने वाले कम्युनिष्टो  के राज में १९७९ में जमशेदपुर (बंगाल) में १२५ लोग मारे गए | १९६७,१९७७,१९८७,१९९१ के मेरठ, मुरादाबाद, रामपुर, मुजफ्फरनगर, बरेली आदि के दंगे जिनमे ५००० से अधिक लोग मरे गए कांग्रेस की देन है | १९८२ के मुरादाबाद दंगे में तो २००० लोग मरे गए थे | दिल्ली आदि में १९८४ के सिख नरसंहार (३५०० हत्याएं) का दोषी सीधे राजीव गाँधी है | १९८० से १९९२ तक पजाब मे हुई लाखो हत्याओ से इंदिरा गाँधी कैसे बच सकती है,  तथा खालापार(मु.नगर), तुर्कमान गेट (दिल्ली) के मुस्लिम हत्याकांड भी इंदिरा गाँधी के खाते मे है | रामपुर तिराहा व अयोध्या हत्याकांड सेकुलर मसीहा मुलायम ने ही तो कराये | लालू के कार्यकाल में बिहार मे नारायणपुर, शंकर बिगहा, पारस बिगहा आदि के जातीय दंगो में ३५० से भी ज्यादा लोगो की हत्याए हुई | शांति दूत नेहरू के भी खाते मे जबलपुर की ३००० हत्याए है | झामुमो नेता  शिबू सोरेन पर १० हत्या का मुकदमा चल रहा है | असम के नेल्ली गांव मे एक दिन मे ३००० लोग मार दिए गए थे | कश्मीर और असम के अनवरत  नरसंहारक  भला कौन है ? कांग्रेस का राज याने दंगो का राज | अकेले गुजरात को देखें तो बार-बार नरेन्द्र भाई को हत्यारा कहने वाले शर्मनिरपेक्ष लोग बताएं की स्वातंत्रोत्तर के इतिहास में गुजरात के सबसे भयानक दंगे 1969 (कांग्रेस राज)  में अहमदाबाद में हुए थे जिसमें ५००० मुसलमान मारे गए थे । इसके बाद भी  १९८५ (३००),  १९८७ (६०) , १९९०,१९९२ के गुजरात दंगो में भी हजारो लोग मरे गए थे |
लाल बहादुर शास्त्री, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चन्द्र बोस की हत्याए भी इसी रोशनी मे है | मोदी को खूनी कहने वाले सेकुलरों की ये कुछ बानगी भर है | मोदी को वीजा न देने वाले अमेरिका की चर्चा के बिना लेख अधूरा लगेगा | वैश्विक मानवाधिकार, शांति और सेकुलरवाद के मुखिया अमेरिका ने इराक, अफगानिस्तान और  इरान मे कितना कहर ढाया सब जानते है | जापान और विएतनाम का क्रूर दमन कौन भुला सकता है ? वैसे विश्व मे कही भी खून खराबे की जमीन अमेरिका ही तो तैयार करता है ? मोदी को कोसने वाले ये क्यों भूल जाते है की राष्ट्रमंडल और राजीव गाँधी फौंडेशन, सुशासन के लिये मोदी को पुरुष्कृत कर चुके है |”चित्रलेखा साप्ताहिक२००५ मे मोदी कोइयर ऑफ पर्शनसे नवाज चुकी है | २००६ मे योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी मोदी की सराहना कर चुके है | तथा कोई आयोग अभी तक मोदी को दोषी नहीं ठहरा पाया |