Friday 15 April 2016

 अम्बेडकर का सच । जिसे आप सभी को जानना जरूरी है:--

निसंदेह दलितों पर सवर्ण हिन्दुओं के असहनीय अत्याचारों का दूसरा नाम ही डा. अम्बेडकर है | पर आज जो नाम, पहचान, सम्मान, बाबा साहेब का है वो भी सवर्णों के कारण ही है | ये नहीं भुलना चाहिए इन सवर्णों के बिना बाबा साहेब कहीं अँधेरे में खो गए होते | दलित नेता जब बाबा साहब डा. अम्बेडकर पर भाषण देते हैं तब बड़ी धूर्तता से उन व्यक्तियों का नाम ही नही लेते जिसने उन्हें "बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर" बनाया । बड़ोदरा रियासत के महाराजा सयाजी गायकवाड को एक चिठ्ठी मिलती है । जिसमे एक युवक ने लिखा था की वो दलित है पढाई करने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका जाना चाहता है, लेकिन धनाभाव के चलते संभव नही हैं और कोई भी उसकी मदद नही कर रहा है । चिठ्ठी के साथ अंक तालिकाएं (Mark Sheets) भी संलग्न (Attach) थी । चिठ्ठी पढ़ते ही महाराजा सयाजी गायकवाड़ ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया और उन्हें ब्रिटेन और अमेरिका पढने के लिए पूरा खर्चा ही नहीं दिया बल्कि रहने का इंतजाम भी महाराजा ने किया | और तो और जब बाबा साहब डा.  अम्बेडकर PHD करके वापस आये तो कोई भी उन्हें नौकरी नही दे रहा था, तब एक बार फिर महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उनका साथ दिया और उन्हें अपनी रियासत का महामंत्री नियुक्त किया और उस जमाने में उन्हें दस हजार रुपये महीने वेतन दिया जो आज दस करोड़ के बराबर है । लेकिन गाँव गाँव जो तथाकथित अम्बेडकरवादी घूमते हैं वो दलितों को ये बात नही बताते । वो तो छोड़िए उनका पूरा नाम भी बहुत कम लोग जानते है | इसी प्रकार डा. अम्बेड्कर के ब्राह्मण गुरु महादेव अंबेडकर ने ही दिया था उन्हे अम्बेड्कर उपनाम दिया | 1894 में भीमराव अंबेडकर जी के पिता सेवानिवृत्त हो गए और इसके दो साल बाद, अंबेडकर की मां भीमा बाई की मृत्यु हो गई | तो बाबा साहेब के १४ भाई बहनों की देखभाल उनकी चाची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुये की । रामजी सकपाल के केवल तीन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियाँ मंजुला और तुलासा ही इन कठिन हालातों मे जीवित बच पाए। अपने भाइयों और बहनों मे केवल अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए और इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुये। अपने एक देशस्थ  ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे के कहने पर अंबेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गांव के नाम "अंबावडे" पर आधारित था। उनकी दूसरी पत्नी सविता अम्बेडकर भी ब्राह्मण थी |