“संस्कृत का अद्भुत चमत्कार”
मित्रों बचपन में हाई स्कूल इंटर में जब हम पढ़ते थे तो हमें बताया जाता था ।
कि एक ही अंग्रेजी वाक्य मे अंग्रेजी वर्णमाला के 26 के 26 अक्षर है ।
निसंदेह यह विषय आपके संज्ञान में भी आया होगा अतः आपके लिए भी यह जानना जरूरी है | अगर आपको अपनी अस्मिता और पुरातन संस्कृति पर गर्व है तो । वो अंग्रेजी वाक्य कुछ
इस प्रकार से है :- “द क्विक ब्राउन फॉक्स जम्प्स ओवर द लेजी डॉग” । साथ में यह भी
कहा जाता था, कि हिन्दी वर्णमाला इतनी कठिन और दुरुह है कि इसे एक श्लोक या कवितापंक्ति में संकलित नहीं किया जा सकता ।
लेकिन मित्रो हजारों वर्ष पूर्व धारा नगरी के न्यायप्रिय और कलाप्रेमी राजा भोजदेव
ने इसे अपने एक संस्कृत ग्रन्थ के एक छंद में कर दिखाया है | जिसे हमें नहीं बताया गया | जो उनके संस्कृत
ग्रन्थ "सरस्वती कंठाभरणम्" में उल्लेखित है | जिसमे संस्कृत,
हिंदी भाषा के सभी 33 अक्षरों का प्रयोग है । इसमें खोजने से भी किसी अक्षर की
पुनरावृत्ति नहीं मिलेगी । इसमें पूरे के पूरे 33 अक्षर हिंदी वर्णमाला के बिना दोहराए हैं । जबकि अंग्रेजी
वाले वाक्य में दो तीन अक्षरों को दोहराया गया है । मुझे गर्व है अपने संस्कृति पर
अपने पुरातन वांगमय पर ।संस्कृत की
अद्भुत छमता, भाषा विस्तार एवं चमत्कारी रचनाएँ जो संस्कृत को विश्व की अन्य सभी
भाषाओं से उत्कृष्ठ बनाती है । इसे कभी मैकाले वादियों ने पटल पर नहीं आने
दिया |
वर्ण चित्र:
वर्णों के एक
अद्भुत क्रम में लिख कर एक चित्र बनाना इस विधा की खूबी है, आईये देखते हैं एक उदाहरण, निम्न श्लोक में सभी 33 व्यंजन को उनके नियत प्राकृतिक क्रम में रख
कर केवल कुछ स्वर परिवर्तित कर यह श्लोक बनाया है, क ख ग घ .....ऐसे लिखते हुए ह तक का प्रयोग है । चमत्कार देखिये।
तथोदधिन
पफबार्भीर्मयोsरिल्वाशिषां सह: ।
"वह कौन है, पक्षी प्रेमी, कुशाग्रता में शुद्ध,
दूसरों की शक्ति
को चुरा लेने में माहिर,
दुश्मनों के बल
को नाश करने वालों में अग्रणी, अति तीव्र निर्भय,
वह कौन है जो
सागर को भी भर दे ?
वह माया का
सम्राट आशीर्वाद का संग्रहालय और दुश्मनों का नाशक है ।"
है न यह कलाकारी
क्या यह कलाकारी कहीं अन्य किसी भाषा में हो सकती है। नमन हमारी संस्कृति नमन
हमारी संस्कृत नमन हमारे पौराणिक आचार्य नमन।