“इस्लाम का असली चेहरा----मलाला युसूफजई”
तालिबान ने नारी
शिक्षा का निषेध किया, तो मलाला ने चोरी छुपे पढ़ना जारी रखा इस पर तालिबानियों ने
गोलीबारी कर उसे जान से मारने का प्रयास किया | आज ब्रिटेन में जिंदगी और मौत के
बीच संघर्षमय इलाज चल रहा है |
मलाला युसुफजई का जन्म १९९८ में स्वात घटी (पाकिस्तान)
के खैबर खैरख्वांह जिले के छोटे से क़स्बे
मिंगोरा में हुआ था | कल तक जिस इलाके को कोई जानता तक नहीं था आज वह मलाला के
कारण विश्व पटल पर छाया है | बता दे कि पुरातन काल में स्वात घाटी स्वास्थ्य घाटी के नाम से जानी जाती थी, और लोग यहाँ गंभीर रोगों के स्वास्थ्य लाभ यानि चिकित्सा हेतु आते थे, क्योकि यहाँ का वातावरण अति शुद्ध हुआ करता था परन्तु अब तालिबान ने इसे अति दूषित कर दिया है | २००७ से ख़ूबसूरत स्वात घाटी पूरी तरह तालिबान के
कब्जे में है | २००९ तक आते--आते अनेको शरई प्रतिबंधो के आलावा नारी शिक्षा को भी
पूरी तरह प्रतिबंधित कर १५ जनवरी २००९ से लडकियों के स्कूल जाने पर पूरी तरह पाबंदी
लगा दिया गयी | शिक्षा के लिए लालायित ये मासूम सी बालिका मलाला ने ११ साल कि उम्र
से ही तालिबानी अत्याचारों के खिलाफ ‘गुल मकई’ छद्म नाम से बीबीसी के लिए डायरी
लिखना शुरू कर दिया | २००९ में न्यूयार्क टाइम्स ने इस विषय पर मलाला को लेकर
फिल्म भी बनाई थी | ‘विश्व किड्स राईट फ़ौंडेशन” ने बाल शांति पुरुष्कार के लिए मलाला
को भी नामित किया था पर यह पुरुष्कार एक अफ़्रीकी लडकी के खाते में चला गया | अक्टूबर
में प्रतिबंधो और धमकियों के बाद भी जब मलाला ने घर के कपड़ो में किताबे छिपाकर स्कूल
जाना जारी रखा तो एक दिन स्कूल से लोटते समय उस पर जान से मारने की नीयत से गोली चला दी | गोली सर में लगी पर वह बच गयी और
इस समय ब्रिटेन में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष रत है | मलाला के २०० लडकियों के
स्कूल को भी तालिबानियों ने ध्वस्त कर दिया | इस्लाम की इससे वीभत्स तस्वीर कोई और
हो सकती है क्या ?