“घर वापसी बनाम
धर्मान्तरण”
आज भारत में धर्मांतरण को
लेकर बड़ी बहस छिड़ी है मानो देश के सामने इससे बड़ा मुद्दा और कोई नहीं है | भारत का
मिडिया और सेकुलर राजनैतिक दल आपा खोये हुए है | ये सब आगरा कि एक घर वापसी के
प्रकरण को लेकर है | ये बंधू घर वापसी पर धर्मांतरण को आरोपित करते हुए मोदी सरकार
का हाथ पकड़ कर बैठ गए है और कसम खाए है की राज्य सभा में काम नहीं चलने देंगे |
क्योकि वो ये भी जानते है की अगले छ माह ही सरकार को नचाया जा सकता है | राज्य सभा
में मोदी का बहुमत होते ही तुम कुछ नहीं कर पाओगे |
धर्मांतरण और घर वापसी में
वाही अंतर है जो घुसपैठिये और शरणार्थी में | केंद्र सरकार नक्सलियों की घर वापसी
करा रही है | डकैतों की घर वापसी कराई गई | अलगाववादियों की घर वापसी की बात की
जाती है | पर हिन्दू घर वापस न करे | जो हिन्दू जो भूलसे, छल से, बल से, धोखे व लोभ से घर छोड़ गए उनकी वापसी पर इन सेकुलरों
को दर्द है | इस बात पर इनका कहना है की एसी बातों से देश की धर्म निरपेक्ष छवि को
हानि पहुंचती है | मजे की बात तो ये भी है की ये सेकुलर दल धर्मान्तरण पर कोई
केन्द्रीय कानून भी नहीं चाहते | क्योकि घर वापसी से हिन्दू समाज का लाभ हो रहा है
और हिन्दुओ के लाभ से इन्हें दुःख होता है | भला घर वापसी से किसे एतराज हो सकता
है पर सेकुलरिश्टो के पेट में मरोड़ हो रहा है |
यहाँ एक दो उदहारण देना चाहूँगा, लोकसभा के
चुनाव में मिजोरम की एक सभा में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गाँधी ने कहा था की
‘यदि मिजोरम में कांग्रेस की सरकार बनी तो यहाँ बाइबिल के अनुसार सरकार चलेगी’ |
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था की ‘देश के संसाधनों पर पहला हक़
अल्पसंख्यकों का है’ | मध्य प्रदेश की पहली रविशंकर शुक्ल की कांग्रेस सरकार ने
ईसाईयों के अत्याचारपूर्वक धर्मपरिवर्तन के विरुद्ध ‘नियोगी आयोग’ का गठन किया था जिसमे
नियोगी ने मिशनरीज का कच्चा चिटठा खोल कर रख दिया था | ( इसाई
मिशनरीज ने बहुत बड़ी मात्रा में मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आदि के आदिवासी
जंगल में धर्मान्तरण का धंधा चला रखा था |) तथा उसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश और उड़ीसा में धर्मान्तरण
पर रोक लगा दी गई थी | तो इसाई मिशनरीज ने काफी हो हल्ला मचाया था | तिस पर
मिशनरीज ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट गए थे कि “धर्मान्तरण पर रोक संविधान की धरा २५
का उलंघन है” | इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इनकी याचिका ख़ारिज करते हुए कहा था की ‘धरा
२५ धर्म प्रचार की स्वीकृति देती है धर्म परिवर्तन की नहीं’ | इनका सारा बल तो धर्मान्तरण पर ही था | उड़ीसा
में इन्होने हिन्दू संत लक्षमनानंद की हत्या इस लिए करा दी की वो धर्मान्तरण में बहुत
बड़े बाधक थे और घर वापसी के समर्थक थे | जब ये सेकुलर व मिशनरीज धर्मान्तरण करे तो
ठीक, हिन्दू घर वापसी करे तो गलत | इसी कारण ये लोग धर्मान्तरण पर किसी भी तरह का
कानून नहीं बनाने दे रहे | इस सब के पीछे एक बात और है कि ये लोग बहका फुसलाकर तथा
लोभ- लालच देकर हिन्दू समाज के अभिन्न अंग दलित समाज से कुछ भाइयों को ये कह कर ले
गए की आपको बराबर का सम्मान मिलेगा | पर ये पिडित भाई वहां भी पीड़ित रहे तब
इन्होने वापस अपने समाज में लोटना बेहतर समझा | सकुलरों की बदहवासी के पीछे एक
कारण ये भी है की विदेसी मिशनरीज से करोडो की संख्या मे आने वाले पेसो में इनका भी
बन्दर बाँट है |