सिलहट ----
भारत पाक विभाजन के समय सिलहट एकमात्र जिला ऐसा था जिसका निर्णय वोटों से हुआ
की वह भारत में रहे या पाकिस्तान में | विभाजन पूर्व ये असम का एक जिला हुआ करता
था | यहाँ हिन्दू मुस्लिम आबादी लगभग बराबर थी | इसीलिए हिन्दू नेता इसे भारत में
और मुस्लिम नेता इसे पाकिस्तान में मिलाने की पैरोकारी कर रहे थे | पर विभाजन की
चर्चा से आस पास के जिलों के बहुत बड़ी संख्या में हिन्दू सिलहट में आ बसे थे जिससे
सिलहट स्पष्ट हिन्दू बहुमत वाला जिला बन गया | कोई निर्णय न होता देख अंतत: मतदान कराने का निर्णय लिया गया | मतदान हुआ और
हिन्दू भारी बहुमत होते हुए भी ५०००० मतों से हार गए | क्यों ? क्योकि हिन्दू मत
डालने ही नहीं गए | मतदान वाले दिन हिन्दू ताश, शतरंज और उस प्रकार के अन्य खेलों
में व्यस्त रहे | और जनमत हार गए | फिर सिलहट को पाक में जाना था सो चला गया |
उसके बाद हिन्दुओं पर मुस्लिमों ने जमकर कहर बरपाया | लूट, हत्या, बलात्कार,
धर्मांतरण आखिर हिन्दू के साथ क्या नहीं हुआ | जो उन्होंने झेला | अपनी जरासी
गलती, मुर्खता और नासमझी के कारण हिन्दू सिलहट में अपने विनाश का कारण स्वयम बना |
ऐसे ही विभाजन से पूर्व कश्मीर में परावर्तित मुस्लिमो ने महाराजा गुलाब सिंह
से घरवापसी के लिए कहा था | गुलाब सिंह ने कश्मीरी पंडितों से पूछा कि ये मुस्लिम
जो किन्ही कारणों से इस्लाम कबूल कर चुके थे अब वापस अपने घर हिन्दू धर्म में आना
चाहते है | तो पंडितों ने कहा था की हम सतलुज में कूद कर जान दे देगे पर इनकी घर
वापसी स्वीकार नहीं करेंगें | और आप पर ब्राहमण हत्या का पाप लगेगा | क्योकि
हिन्दू से जाने के बाद वापसी नहीं है और ये गोमांस खा चुके है | महाराजा गुलाबसिंह
आने वाली परिस्थितियों से परिचित थे अत: वे काशी के ब्राह्मणों तक भी समाधान के
लिए गए | पर काशी के ब्राहमणों ने भी वही कश्मीरी पंडितों वाला जवाब दिया कि हम
गंगा में कूद कर जान दे देंगे | अंतत: गुलाब सिंह को हार मननी पड़ी और आज वही
कश्मीरी पंडित ४-५ लाख की संख्या में कश्मीर छोड़ जम्मू दिल्ली की सडकों पर है और वे ही
परावर्तित मुस्लिम आज कश्मीर के मालिक है |