Thursday 2 January 2014



                    “ये कैसा नववर्ष”
एक जनवरी को बहुत से लोग पागलपन की सीमा तक जाकर जश्न मनाते है पर क्या वास्तव में ये नव वर्ष इतना महत्त्व पूर्ण है जिसे ब्रिटेन में ही १७५२ में मान्यता मिली | आओ इसका पोस्ट मार्टम करें | इस दिन न तो किसी राजा का राज्यभिषेक हुआ, किसी राजा का विजय दिवस, या किसी महापुरुष का जन्मदिन भी नहीं है, न ही इस दिन प्रकृति, मौसम या जलवायु का परिवर्तन होता है | फिर रात के अँधेरे में १२ बजे ठण्ड से ठिठुरते हुए निशाचरों की भांति ये नव वर्ष मनाना का क्या ओचित्य है | रोमन साम्राज्य में ईसापूर्व ४६ में जूलियस सीजर ने रोम के पूर्व व स्थानीय पंचांगों को संशोधित कराकर एक जूलियन कैलेण्डर बनवाया | उस समय तक रोमन कलैंडर में दस महीने ही (जुलाई, अगस्त को छोडकर) हुआ करते थे | जूलियन कैलेण्डर में जूलियस सीजर ने अपने नाम पर सातवाँ महीना जुलाई और आगस्टस के नाम पर आठवां महीना अगस्त जोड़कर साल में १२ महीने किये गए | सीजर ने तभी आदेश दिया था की ४४५ सन १\४ दिन का होगा, इसे इतिहास में संभ्रम वर्ष (कन्फ्यूजन इयर) के रूप में जाना जाता है |
  वर्ष का वास्तविक मान ३६५.२४२२ दिन का है | जूलियन कैलेण्डर में वर्ष का मान ३६५.२५ मान कर ३६५ दिन से गणना की गयी | इस प्रकार एक वर्ष में ०.००७८ दिनकी वृद्धि हो जाती है | इससे इतना समय बढ़ जाता है की चौथा वर्ष अधिवर्ष  (लीप इयर) ३६६ दिन का मानना पडा | सन १५८२ में ईस्टर पर १० दिन का अंतर आ गया तो पोप ग्रेगोरी तेरहवें ने आदेश दिया कि १० दिन बढाकर कैलेण्डर  में ५ अक्टूबर शुक्रवार को १५ अक्टूबर शुक्रवार संशोधित माना जाय | यही नहीं ४०० से विभजित होने वाला शताब्दी वर्ष ३६६ दिन का अन्य शताब्दी वर्ष ३६४ दिन के होंगे | इसी कारण फरवरी २८ दिन की तथा जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर, दिसंबर ३१ दिन के और अप्रेल, जून, सितम्बर, नवंबर ३० दिन के माने गए | दिनों के नाम भारतीय पध्यति के आधार पर ही रखे गए यथा रविवार – संडे, सोमवार – मंडे आदि | इससे पहले नया साल २५ दिसंबर को ही याने बड़े दिन से शुरू होता था | ग्रेगरी ने ही एक जनवरी से साल की शुरुआत का नियम बनाया | और इस प्रकार ३३०० साल बाद ४८८२ में फिर १ अक्टूबर को २ अक्टूबर मानना पड़ेगा | ये है गेगेरियन कलैंडर अब प्रचलन में है, ग्रेट ब्रिटेन में ग्रेगेरियन कलैंडर १७५२ में स्वीकृत हुआ |  तभी १० दिन के अंतर को ३ सितम्बर गुरुवार के स्थान पर  १४ सितम्बर गुरूवार मानकर समायोजित किया गया | इस प्रकार ब्रिटेन में २ सितम्बर बुधवार के पश्चात सीधे १४ सितम्बर आया और नववर्ष की शुरुआत २५ दिसंबर के स्थान पर एक जनवरी से होना प्रारम्भ हुई | भारतियों के सर पर सवार ये ग्रेगेरियन कलैंडर पश्चिम के कुछ देशों में तो बीसवीं शताब्दी के बाद ही स्वीकार हुआ |
(वैज्ञानिक, प्राकृतिक, धर्मिक और काल सम्मत के बारे में उसके आने पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा २०७० (३१ मार्च २०१४ ) बताएँगे |