Wednesday 17 February 2016

                  “सिंधपति राजा दाहिर सैन”
सम्राट दाहिर सैन आठवीं शताब्दी के प्रारंभ में भारत के उत्तर पश्चिम के प्रसिद्ध ब्राह्मण राजा थे | उस समय के सिंधराज्य में आज का जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, और पाकिस्तान सहित अधिकांश उत्तर पश्चिम भारत शामिल था | दाहिर सेन के योग्य शासन से सिंधप्रान्त उन्नति और सुख शांति को प्राप्त था | अरब के मुस्लिम लुटेरो और आक्रान्ताओं को सिंध के वैभव से ईर्ष्या होने लगी | अत: सिंध को लूटने और इस्लामिकरण को व्याकुल रहने लगे | ऐसे में अरब के खलीफा ने सिंध और हिन्द के विरूद्ध जिहाद की घोषणा कर ने ७१२ ई में अपने भतीजे (जो उसका दामाद भी था) मोहम्मद बिन कासिम को विशाल सेना के साथ सिंध पर हमले के लिए भेजा | उसने कूटनीति का प्रयोग कर सिंध की बोद्ध आबादी को अहिंसा का वास्ता दे अपनी और कर लिया | बोद्धो ने यवनों को खाने पीने के सामान से लेकर धन और गुप्त सूचनाएं तक पहुंचाई | कासिम ने ‘देवल’ नामक बंदरगाह पर आक्रमण कर दाहिर की सेना को ललकारा | तो दोनों सेनाओं की मुटभेड़ ‘ब्राहमणाबाद’ के मैदान में हुई | अरबों की सेना के पास तोपें और ‘मजनोक’ नामक दुरमारक यंत्र भी था | इस युद्ध को हिन्दूवीर बहादुरी से लडे पर अपने ही लोगों की गद्दारी के चलते जीती बाजी हार गए | इसी समय दाहिर का हाथी बिगड़ गया और एक तीर दाहिर को लगा दाहिर घायल हो गए और 20 जून ७१२ ई. को ये वीर योद्धा रनभूमि में वीर गति को  प्राप्त हुआ | तब दाहिर की पत्नी ने भी महिलाओं और बची पुरुष सेना को साथ लेकर ‘रावर’ के किले से संघर्ष किया | जितना हो सकता था इस सेना ने मारकाट मचा दी | लेकिन हारी बाजी को जीत में परिवर्तित न करा सकी | अंततः बाजी अपने हाथ से जाते देख रानी को अपनी साथिनों के साथ जोहर करना पड़ा | सिंध पर कासिम का कब्ज़ा हो गया उसने मनमाने ढंग से लुटा और खुला धर्मान्तरण कर हिन्दुओं का मुसलमान किया |

           कासिम सिंध से हजारों हिन्दू बहन - बेटियों को जिनमे राजा दाहिर की दो युवा पुत्री सूरज और परमल भी थी, को दासी बना कर खलीफा को भेंट करने के लिए बगदाद ले गया | इनके शोर्य, बलिदान और बुद्धि चातुर्य की गाथा इतिहास प्रसिद्द है | दोनों बहनों को खलीफा के सामने पेश किया गया | चतुराई से दोनों बहनों ने खलीफा से कहा कि ‘आपके पास भेजने से पहले कासिम ने तो हमारा सतीत्व भंग कर दिया है तो क्या आप जूठन खाना पसंद करेंगे’ | यह सुन खलीफा आग बबूला हो गया और आदेश दिया की बैल की खाल में सिल कर कासिम को मेरे पास लाया जाये | आदेश का पालन हुआ और मोहम्मद बिन कासिम मारा गया | बाद में सूरज और परमल ने बताया की ‘कासिम तो निर्दोष था दरअसल हमने तो अपने पिता की हत्या और राज्य छिनने का बदला कासिम से लिया है’ | इतना कह दोनों बहनों ने तुरंत एक दुसरे को क़टार मार कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली | और दुश्मन की धरती पर दुश्मन से बदला ले लिया | साथ ही अपना नाम इतिहास में अमर कर दिया | आगे चलकर पृथ्वीराज चौहान ने ११९२ ई. में दुश्मन की धरती पर दुश्मन से इसी तरह का बदला ||