Sunday 22 July 2012


              “पवित्र कांवड यात्रा”
बंधुओ कांवड यात्रा विस्तार एवं संख्या की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है |श्रावण मास में करोडो हिन्दुओ का सैलाब पुरे उत्तरी भारत को भगवा रंग में रंग देता है | कुछ समय से अमरनाथ यात्रा की तरह इस भक्ति और शक्ति को देख कर सैकुलर वादियों के पेट में मरोड़ होने लगा है, और इस पवित्र यात्रा को निरुत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रतिबन्ध लगाने शुरू कर दिए है | जैसे--(१) सेवा शिविर यात्रामार्ग के एक ओर तथा मार्ग से १०० मीटर दूर लगेंगे ओर उनकी भी अनुमति लेनी होगी,(२) शिविरों के लिए अलग से विद्युत संयोजन लेना होगा, (३) अब यात्रा का प्रमुख अंग बन चुके डाक कांवड और ध्वनि विस्तारक नहीं चलेगें, (४) छोटे डंडे, हाकी, त्रिशूल आदि लेकर नहीं चल सकेगें, (५) भंडारों में व्यावसायिक गैस सिलेंडर ही चलेगे | इस बार मेरठ में नए शिविर को अनुमति नहीं दी गयी | पर फिर भी पावन यात्रा सफल रही |
   धर्मनगरी हरिद्वार से पवित्र कांवड यात्रा छुट—पुट घटनाओ को छोड़कर शांति पूर्वक संपन्न हो चुकी है | इस पावन यात्रा में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों के करोडो शिवभक्त पवित्र गंगाजल लेकर अपने-अपने शिवालयों को प्रस्थान करते है | पवित्र यात्रा पूर्ण आस्था व गरिमा के साथ निर्बाध एवं शांतिपूर्वक संपन्न हो इस हेतु विश्व हिंदू परिषद ने कुछ सुझाव उत्तर प्रदेश शासन को निम्न बिन्दुवार ध्यानाकर्षण हेतु प्रेषित किये हैं |
     (१)--यात्रा के मार्ग पर शिव भक्तो की सेवा हेतु लगने वाले सेवा शिविरो का सत्यापन शिविर लगने वाले स्थान पर ही किया जाये | शिविरो में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर ही मान्य किये जाये | (२)—यात्रा के मार्ग गड्ढा मुक्त हो, तथा प्रकाश, स्वास्थ सेवाएं, सफाई, आवास, स्वच्छ पेयजल आदि की व्यवस्था प्रशासन की ओर से हो | (३)--दुर्घटना व अन्य आकस्मिक सेवा हेतु त्वरित वाहन की व्यवस्था प्रत्येक पांच किलोमीटर पर उपलब्ध हो | (४)--यात्रा मार्ग पर सांकेतिक चिन्ह, छोटे बड़े शहरों की दूरी किलोमीटर सहित, प्रशासनिक अधिकारियो के मोबाइल न० बड़े-बड़े अक्षरों मे टंगे होने चाहिये | (५)-- यात्रा हिन्दुओ की धार्मिक अस्थाओ के अनुसार चले, प्रशासन यात्रा मे अनावश्यक भडकाऊ यथा धार्मिक चिन्ह त्रिशूल, डाक कांवड, ध्वनिविस्तारक आदि पर प्रतिबन्ध ना लगाये | (६)--शोच व्यवस्था इस यात्रा का महत्वपूर्ण बिंदु है, शिवभक्त खुले में शोच करने को बाध्य है | इसके लिए स्थान-स्थान पर अस्थाई व सचल शौचालयो कि व्यवस्था कराई जाए |
 इसके अतिरक्त विहिप ने प्रमुखता से मांग कि--(१)—हज हॉउस की तरह यात्रा मार्ग पर कांवड हॉउस बनाये जाये |(२)—वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तरह से कांवड बोर्ड का गठन एक आईएएस नोडल अधिकारी नियुक्त हो | 
विश्व हिंदू परिषद प्रत्येक वर्ष कांवड यात्रा को शांतिपूर्वक संम्पन्न कराने में प्रशासन का पूर्ण सहयोग करता हे, कांवड खंडित होने की स्थिति में विवाद होने से बचाव हेतु गत सात वर्षों से मोदीपुरम में शिवर लगा कर हर की पोडी का पवित्र गंगाजल, कांवड व गंगाजली की समुचित व्यवस्था करता है | विगत कई वर्षों में इस प्रबंध के सार्थक परिणाम आये हे |