“वीर सावरकर”




                  “वीर सावरकर”
आज २६ फरवरी भारत माँ के उस सपूत का निर्वाण दिवस है जो सच्चे अर्थो में सपूत नाम को सार्थक करता है | जी हाँ वीर विनायक दामोदर सावरकर का आज निर्वाण दिवस है | चूँकि उनके नाम से वोट नहीं मिलते इसलिए देस नायक उन्हें याद नहीं करते | लेकिन सावरकर किसी रहम के गुलाम नहीं स्वाभिमान से जिए और स्वाभिमान से मरे | उनका प्रबल आग्रह था “राजनीति का हिंदू करण और हिंदू का सैन्यीकरण होना चाहिए “|
      सावरकर स्वाभिमानी , प्रखर राष्ट्रवादी , महान क्रन्तिकारी , गहन चिन्तक , सिद्ध हस्त लेखक , बहुभाषाविद , ओजस्वी कवि , उग्र वक्ता , दूरदर्शी नेता , सर्वस्व त्यागी , अमर बलिदानी यानि हर सद्गुण संपन्न स्वयं में एक संस्था थे |  कुछ लोग इतिहास लिखते है वो इतिहास बनाने वाले थे | जीने की बात तो सब करते है ,सावरकर ने देस पर मरना सिखाया | कर्जन वायली को गोली मारने वाला मदनलाल धींगरा इन्ही का शिष्य था | उन्होंने क्रांति की पाठशाला अंग्रेजो की धरती इंग्लैंड में “इण्डिया हॉउस” स्थापित कर चलाई | विदेशी वस्तुओ की होली जलाने का प्रचलन इन्होने ही शुरू किया | उन्होंने २० वर्ष की आयु में “१८५७ का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम”  नामक पुस्तक में भारत के इतिहास की सनसनीखेज और प्रामाणिक जानकारी  लिखी जिसे प्रकाशन से पूर्व ही प्रतिबंधित कर दिया गया | उनकी बी ए की डिग्री भी रोक ली गई जो देश के स्वतन्त्र होने पर दी गई | बालगंगाधर तिलक सहयोगी थे  और   सुभाष चन्द्र बोस इन्ही से प्रेरणा पाते थे | सावरकर ने जेल में ही इटली के “जोजफ मैजनी” के साहित्य का अनुवाद मराठी में किया | बिना कागज और कलम के जेल की दीवारों पर लिख कर और स्मृति के बल पर अपना ज्ञान और विचार देश वासियों तक पहुचाये |  देश पर सर्वस्व होमने वाले चंद  परिवारो में से एक सावरकर परिवार है | तीन भाई गणेश ,विनायक व नारायण का परिवार स्वतंत्रता की अग्नि में स्वाहा हो गया | और अंग्रेजो के तलवे चाटने वाले कांग्रेसी मंत्री मणिशंकर अय्यर ने अंदमान में वाजपेयी सरकार द्वारा लगाया गया शिला पट हटा दिया | नेहरू ने सावरकर को गाँधी हत्या में फंसा कर उनके बलिदान का अच्छा शिला दिया | ये और बात है की तत्कालीन विधि मंत्री डा. अबेडकर ने उनका बचाव किया |
    सावरकर हिंदुत्व के प्रबल प्रहरी थे |उन्होंने कहा था  कि “राज्य की सीमायें नदी , पहाड़ों या सन्धि-पत्रों से निर्धारित नहीं होतीं, वे देश के नवयुवकों के शौर्य, धैर्य, त्याग एवं पराक्रम से निर्धारित होती हैं “ |     
 हिंदुत्व , काला पानी , मोपला  आदि उनकी प्रमुख पुस्तके है | सावरकर ने हिंदू महासभा , और अभिनव भारत नामक संस्थाओ की भी स्थापना भी की | पानी के जहाज से समुद्र में कूदना उनके अदम्य साहस का ही प्रतीक है | दो दो आजन्म कारावास का भोगी सशरीर जेल से बाहर आएगा ऐसा किसी को विश्वास नहीं था | उनके गले में मई १९६० की रिहाई का पट्टा पड़ा था | एक बार जेलर ने कहा था की “सावरकर तुम १९६० तक जी पाओगे” तो पलट कर सावरकर ने जवाब दिया था की “तुम १९६० तक भारत में रह पाओगे के नहीं अपनी चिंता करो “ गजब का आत्मविश्वास था | वे भारत के देदीप्यमान नक्षत्र थे | सावरकर सामाजिक समरसता के भी बहुत बड़े हिमायती थे और हिंदू समाज में फैली कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया | उनका जन्म २८ मई १८८३ को नासिक में हुआ था | २६ फरवरी १९६६ को ये महान विभूति हमसे स्मृति शेष हों गयी उन्हें कोटि कोटि नमन |