Monday 4 July 2022

"अहिल्या बाई की न्याय प्रियता"

 

           प्रेरक प्रसंग -- "अहिल्या बाई की न्यायप्रियता"

न्यायप्रियता के मामले में अनेक नाम सामने आते है | पर उनमे एक नाम अहिल्याबाई का भी है | जिसने न्याय देने में अपने पुत्र को भी क्षमा नहीं किया | और मृत्युदंड देने को तत्पर हो गई |  बात अहिल्या बाई के ज़माने की है | इंदौर के किसी रास्ते पर एक गाय अपने मासूम बछड़े के साथ खड़ी थी | कि तभी उसी रास्ते से इंदौर की महारानी के पुत्र मालोजी राव अपने रथ से गुजरे की तभी गाय का बछड़ा बिदक कर रथ के रास्ते में आ गया और रथ से टकरा गया और कुचल कर मर गया गाय भी दौड़ी पर बेकार | मालोजीराव का रथ बछड़े को कुचल कर आगे बढ़ गया | परन्तु गाय स्तब्ध और आहात होकर वहीं खड़ी रही | कुछ देर बाद गाय अहिल्या बाई के दरबार के बहार फरियादियों के लिए लगाये गए घंटे के पास पहुँच गई | कुछ समय बाद अहिल्याब्बाई की नजर गाय पर पड़ी तो उन्होंने प्रहरी को बुलाया कारण पूछने पर प्रहरी ने कहा की ' गोमाता अन्याय का शिकार हुई है | पर मैं बताने में असमर्थ हूँ | अहिल्या बाई के दबाव देने पर प्रहरी को सारा घटनाक्रम रानी को बताना पड़ा | अहिल्या बाई ने सुबह दरबार में पुत्र मालोजी राव की पत्नी मैना बाई को बुलाकर पूछा की 'मैना बताओ तो की यदि कोई व्यक्ति माँ के सामने उसके बेटे को मार दे, तो उस व्यक्ति को क्या दंड मिलना चाहिए'| 'निसंदेह प्राणदंड माताजी ' मैना बाई ने उत्तर दिया | अहिल्या बाई ने तुरंत मालोजी राव को प्राणदंड का निर्णय सुना दिया | तथा उसी रास्ते पर उसी जगह मालोजी राव के हाथ पैर बांधकर डाल दिया गया | रथ के सारथी को अहिल्याबाई ने मालोजी राव के ऊपर से रथ को तेज गति से गुजारने का आदेश दिया | पर सारथी ने क्षमा मंगाते हुए ऐसा करने से मना कर दिया | की चाहे मेरे प्राण ले लो पर मैं ऐसा न कर पाउँगा | तब देवी अहिलाबाई स्वयं रथ पर सवार हुई और रथ को मालोजी की ओर दौड़ा दिया | तभी एक अप्रत्याशित घटना घटी वही फरियादी गाय अचानक रथ के सामने आ खड़ी हुई | गाय को हटा कर रानी ने दुबारा प्रयास किया लेकिन गाय फिर रथ के सामने आ खड़ी हुई | इस प्रकार गाय ने मालोजी राव की रक्षा की | जिस स्थान पर गोमाता अड़ गई थी वह स्थान आज भी इंदोर में अडा बाजार के नाम से जाना जाता है | गोमाता अहिल्या बाई की न्यायप्रियता से संतुष्ट हो गयी | इसी लिए मलोजीराव को क्षमा कर दिया | ऐसी न्यायप्रियता की मिसाल दिर्लभ है

                                             लेखक :- शीलेन्द्र कुमार चौहान

                                                 (अमर उजाला से साभार )

 

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